Health Tips: Did you know how to drink water; according to Ayurveda by Rajiv Dixit ||All rules and discussion of drinking water || Solved 9 QNA

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How to drink water💧

Table of Contents

Did you know how to drink water according to Ayurveda by Rajiv Dixit

परिचय (Introduction)

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कहा गया है कि जल ही जीवन है। जल के बिना मनुष्य जीवन संभव नहीं।आयुर्वेद मैं जल को प्रमुख और महत्वपूर्ण औषधि कहा गया है क्योंकि जल हमें स्वस्थ और एक निरोग शरीर प्रदान करता है। हमारा भौतिक शरीर पंचमहाभूत (जल,अग्नि,आकाश,मिट्टी,वायु) से मिलकर बना हुआ है। हमारे इस भौतिक शरीर मैं जल का स्थान ६५-७० प्रतिशत होता है। अगर हम पानी पीने के नियमों पर ध्यान दें तो एक स्वस्थ और निरोग शरीर कि कामना कर सकते हैं।

पानी क्यों पियें ? (why we should drink water)

हमारा शरीर का लगभग ६५-७० प्रतिशत भाग पानी है। और शरीर दिनभर पेशाब या पशीने के द्वारा २.५-३ लीटर पानी निकलता रहता है ।वो शुद्ध पानी नहीं होता किन्तु उस अशुद्ध पानी निकल जाने से शरीर शुद्ध और स्वस्थ रहता है। तो जो पानी हम पीते है या भोजन के माध्यम से पानी बनता है उसी से उस पानी की मात्रा (७०%) मैं कटौती होती हैं । इसीलिए उसी पानी की मात्रा को शरीर मैं बनाये रखने के लिये हमें पानी पीना चाहिए।

पानी को किस पात्र मैं रख कर पियें ? (Drink water in which container)

पहले तो हमें ये ध्यान मैं रखना चाहिए कि जिस भी पात्र मैं पानी रखे या पिये वो साफ़ होना चाहिए । प्रदूषित पानी पीने से शरीर रोगी बन सकता है। ध्यान देनी वाली बात है कि पानी को प्लास्टिक या स्टील के बर्तन मैं ना रखें। बागभट्ट जी का कहना है कि – ऋतुओं के हिसाब से पानी का बर्तन बदलना चाहिए।

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  1. गर्मियों के दिन मटके मैं रखा हुआ पानी पीना चाहिए, क्योंकि उस समय मौसम गरम रहता है और शरीर भी तो हमें शरीर को ठंडा रखने के लिए मिट्टी के बर्तनों मैं रखा हुआ पानी पीना चाहिए।
  2. बारिश के दिनों मैं ताँबे के बर्तन मैं रखा हुआ पानी पीना चाहिए।
  3. और सर्दियों मैं सोने के बर्तन वाले पात्र मैं रखा हुआ पानी पीना चाहिए। 

अगर सोने का बर्तन ना मिले तो मटके के अंदर एक सोने की अंगूठी या चैन डाल कर उसी पानी को पीना चाहिए।इस समय मौसम और शरीर दोनों ठंडा रहता है और शरीर को गरम बनाये रखने के लिए ये फ़ायदेमंद होता है। क्यूँकि सोने का गुण गरम होता है। और इस मैं होगा ये की पानी मैं सोने का गुण आ जाएगा। पानी का एक गुण है कि वो जिस भी चीज़ के साथ आता है उसी का गुण को अपना लेता है।जैसे- अगर पानी को प्लास्टिक या स्टील के बर्तनों मैं रखते हैं तो उस में प्लास्टिक या स्टील की रसायनिक गुण आ जाएँगे। जो की दीर्घकालिक स्थिति मैं हानिकारक हो सकते हैं।

सबसे आसान और सस्ता उपाय है कि सुबह पर्याप्त मात्रा मैं पानी को खूब गरम कर के छान कर के एक मटके मैं रख लीजिए और सामान्य तापमात्र होने पर दिन भर तक उसका आनंद लीजिए ।इस पानी को सर्दी जुखाम वाले मरीज भी पी सकते हैं। इस प्रक्रिया मैं आप को ना ही कोई महंगा पानी साफ़ करने वाला यंत्र चाहिए ना ही उसको चलाने के लिए कोई बिजली और ना ही बिजली की बिल।

दिनभर कितना पानी पीना चाहिए ? (How much water to drink in a day)

हमें दिनभर मैं कितना पानी पीना चाहिए इस सवाल का जवाब हमारे आयु मैं निर्भर करता है। पुरुष हो या महिला या बच्चे ये नियम सभी पर लागू होता है।ये नियम कुछ इस प्रकार है- 

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  1. न्यूनतम पानी पीने का नियम – हमें हमारे भोजन का दस गुना पानी पीना चाहिए। हम दिनभर जितना भोजन करते हैं उसका १० गुना पानी पीना चाहिए। उदाहरण- अगर ५०० ग्राम का भोजन दिनभर मैं करते हैं तो ५००*१०=५००० यानी ५ लीटर कम से कम ।
  2. अधिकतम पानी पीने का नियम – उतना मूल्य जितना हमारे वजन को १० से भाग करने पर मिलेगा। न्यूनतम और अधिकतम के बीच पानी पीने का ध्यान रखना चाहिए।ना उससे ज्यादा ना उससे कम।

 

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ये बात का ध्यान हमें अपनी पेशाब से भी कर सकते है जैसे अगर हमारा पेशाब का रंग हल्के पीले रंग का है तो वो सामान्य है। अगर गढ़ा पीला या लाल रंग का है तो उसे निर्जलीकरण या Dehydrate कहा जाता है।अगर पेशाब का रंग पानी जितना साफ़ है तो उसे अति जलयोजन Overhydrate कहा जाता है।

पानी कब पियें ? (When we should drink water)

  1. आयुर्वेद मैं लिखा है कि पानी को सुबह उठते ही ख़ाली पेट पियें।जो की बहत लाभ दायक होता है।
  2. स्नान करने से पहेले भी पानी पी लेना चाहिए।
  3. भोजन करने के १ घंटे पहेले और भोजन करने के १/२ घंटे बाद पानी पीना चाहिए।
  4. रात मैं सोने से पहेले ज़्यादा पानी नहीं पीना चाहिए । इस मैं बार बार नींद से उठकर पेशाब जाना पड़ सकता है और नींद ख़राब भी हो सकती है।

आचार्य चाणक्य कहते है कि :-

अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि फलप्रदं ।
भोजने चाऽमृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदं ।।

अपच होने पर सिर्फ़ जल पीना औषध होता है। जब किसी व्यक्ति के पेट मैं भोजन पच नहीं रहा होता है (अजीर्ण के समय) तब उसे भोजन ना कर के सिर्फ़ पानी पीना चाहिए। वो पानी उसे तब औषध का असर दिखाएगा।

भोजन पचने पर पानी पीना बलप्रद है।अर्थात् भोजन पचने के (१/२) घंटे बाद पिया हुआ पानी से शरीर को शक्ति मिलती है। (कुछ भोजन पचने मैं १ घंटे से ज़्यादा का समय लेते हैं जैसे दूध, पनीर, मांस, तला हुआ ख़ाना आदि।

भोजन के मध्य मैं जल का सेवन अमृत होता है।ये अमृत जैसा तब होगा जब आपके खाते समय गले मैं ख़ाना फस जाये, या खाते समय ख़ासी हो जायें या आप दो तरह का ख़ाना खा रहे हो तब। (जैसे-चावल और रोटी, बाजरे की रोटी और चावल आदि) दो तरह के अन्न के मामले मैं होता ये है कि हमारे पित्त से हर एक अन्न को पचने के लिए एक रस निकलता है रोटी को पचाने का अलग और चावल को पचाने का अलग।…

तो इसी बीच चम्मच भर पानी पी पी कर खाते है तो दो तरह का अन्न पचने का जो रस होगा वो अच्छे से अपना काम कर पायेगा।हालाकि ऐसा करना तो नहीं चाहिए एक अन्न (रोटी) के बाद थोड़ा सा पानी पी कर दूसरा अन्न (चावल) ख़ाना चाहिए। फिर भी ऐसा करते है तो इस बात का ध्यान रखिये।

भोजन के अंत मैं पानी पीना विष के समान है। भोजन करने के तुरंत बाद पिया हुआ पानी भोजन पचाने वाले रसों को पतला कर देता है । अब जो भोजन पचने को ३० मिनट का समय लगता वो अब १/२ घंटे लग सकता हैं या बिना पचे ही शौच के माध्यम से निकल जायेगा। और उस खाये हुए भोजन से कोई रस, रक्त बन नहीं पायेगा।

पानी को कैसे पियें ? (How to drink water)

पानी को हमेशा घुट घुट कर ही पियें। धीरे धीरे शांति से बैठ कर पिये। जल्दवाजी में या खड़े होकर गटागट एक सांस मैं ना पिये। किसी गिलास मैं पानी निकाल कर मुँह लगाकर पियें। जब पानी पिये तो चम्मच से थोड़े थोड़े कर के पानी पिये या एक घूँट पानी को मुँह मैं घुमा कर पियें।इस प्रक्रिया मैं मुँह का लार (saliva) पेट मैं सही मात्रा मैं पहुँच पाएगा। पेट का जो भाग है वो पित्त का है और पेट मैं अम्ल (acid) बनता रहता है और मुँह के लार मैं (saliva) क्षारीय (alkaline) गुण का होता है।क्षारीय और अम्ल के मेल से दोनों प्रशमित (Neutral) हो जाते है। और Acidity या अम्ल जनित समस्या नहीं होती।

पानी पीने के फ़ायदे क्या क्या है ? (Benefits of drinking water)

पानी पीने के बहत सारे फ़ायदे होते हैं;

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  1. पानी पीने से शरीर मैं बात,पित्त,कफ़ ये तीन दोष संतुलित और सामान्य रहते हैं। इनके असंतुलित से ज़्यादातर बीमारी होती है।
  2. सर्दी के दिनों सोने के बर्तन से पिया गया पानी मानसिक रोगी के लिए फ़ायदेमंद होते हैं। जैसे – अनिद्रा, ग़ुस्सा, पागलपन चिड़चिड़ापन आदि ।
  3. चेहरा का निखार बढ़ता है।मुँहासे आदि नहीं होते।
  4. अगर पानी की कमी से सिर का बाल झाड़ता है तो वो भी बंद हो जाता है।
  5. दुबलापन या मोटापा दोनों को नियंत्रित करने मैं पानी लाभदायक है।
  6. खून मैं अम्ल (acid) की मात्रा को बढ़ने से रोकता है अगर अच्छे से पानी पिये तो।
  7. शरीर की तापमात्र को संतुलित बनाए रखता हैं।
  8. मलेरिया, बुख़ार, पेट दर्द, अम्लता के रोगी या गठिया के रोगी के लिए गुनगुना पानी लाभदायक होता है।

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पानी पीने पर कोई नुक़सान तो नहीं होता लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा अमृत भी विष समान होता है। ऊपर दिये गये इन नियमों को पालन करें और स्वस्थ सुंदर जीवन जियें। 

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